1.घोड़े के रोचक तथ्य
दक्ष्णि अफ्रीका के जंगलों में आज भी घोड़े बहुत बड़े झुँड़ो में पाए जाते हैं। एक झुंड में एक नर और कई मादाएँ रहती है।एक झुँड़ के घोड़े किसी एक घोड़े को अपना नेता मानकर उसके निर्देशों का पालन करते हैं। एक झुँड़ के घोड़े दुसरे झुंड के जीवन और शांति को भंग नही करते हैं।किसी समय घोड़ो, गधों, जेबरा और खच्चर के पुर्वज एक ही थे।किसी तरह के संकट में नर चारों ओर से मादाओ को घेर खड़े हो जाते है और दुश्मन का सामना करते हैं।
इतिहास में घोड़े पर लिखी गई पहली पुस्तक ‘शालिहोत्र’ है, जिसे शालिहोत्र ऋषि ने महाभारत काल से भी बहुत समय पहले लिखा था।आज से 6 करोड़ साल पहले के घोड़े का कद केवल
14 इंच और वजन मात्र साढ़े 5 किलो था। इसे Eohippus(ईयोहिप्पस) कहा जाता है। आज के घोड़ो के एक पंजे के मुकाबले Eohippus के आगे वाले पैरों में चार उंगलियां और पीछे वाले में तीन ऊंगलियां होती थी।आम तौर पर घोड़ो का जीवन काल 25 से 30 वर्ष का होता है। परन्तु इंग्लैंड में 1760 में जन्मा एक घोड़ा 62 साल तक जिंदा रहा। उसकी मृत्यु 27 नवंम्बर 1822 को हुई। इस घोड़े को ‘Old Billy’ नाम दिया गया। घोड़े के 62 साल मनुष्य के 173 साल के बराबर होते हैं। यदि आप किसी घोड़े की लंम्बाई मापना चाहते है तो जमीन से लेकर उसके स्कन्ध भाग तक की लंम्बाई देखनी होगी। यदि सिर से मापेंगे तो वह अलग – अलग समय में अलग – अलग आएगी।घोड़े का पहला साल मनुष्य के 12 साल के बराबर होता है, दुसरा साल 7 साल के बराबर, तीसरा साल 4 साल के बराबर और बाकी के 2.5 – 2.5 साल के बराबर होते हैं।
दुनिया में घोड़ों की लगभग 160 नस्लें पाई जाती है। इनमें से अरबी घोड़ा सबसे उत्तम है। घोड़े खड़े होकर और लेटकर दोनो तरह से सो सकते हैं। थल पर रहने वाले प्राणियों में से घोड़ो की आँखे सबसे बड़ी होती है। घोड़ो को ‘गज़नी’ फिल्म के आमिर ख़ान की तरह शार्ट टर्म मैमरी होता है जिसके कारण वह भविष्य के बारे में ज्यादा सोच नही पाते। क्योंकि घोड़ो की आँखे उनके सिर के एक तरफ लगी होती है इसलिए वह एक समय में 360 डिग्री तक देख सकते हैं। मनुष्य के बाल, नाखुन और घोड़ो के खुर एक ही तरह की प्रोटीन से बने होते हैं।एक अनुमान के अनुसार संसार में लगभग 6 करोड़ घोड़े हैं।14 इंच और वजन मात्र साढ़े 5 किलो था। इसे Eohippus(ईयोहिप्पस) कहा जाता है। आज के घोड़ो के एक पंजे के मुकाबले Eohippus के आगे वाले पैरों में चार उंगलियां और पीछे वाले में तीन ऊंगलियां होती थी।आम तौर पर घोड़ो का जीवन काल 25 से 30 वर्ष का होता है। परन्तु इंग्लैंड में 1760 में जन्मा एक घोड़ा 62 साल तक जिंदा रहा। उसकी मृत्यु 27 नवंम्बर 1822 को हुई। इस घोड़े को ‘Old Billy’ नाम दिया गया। घोड़े के 62 साल मनुष्य के 173 साल के बराबर होते हैं। यदि आप किसी घोड़े की लंम्बाई मापना चाहते है तो जमीन से लेकर उसके स्कन्ध भाग तक की लंम्बाई देखनी होगी। यदि सिर से मापेंगे तो वह अलग – अलग समय में अलग – अलग आएगी।घोड़े का पहला साल मनुष्य के 12 साल के बराबर होता है, दुसरा साल 7 साल के बराबर, तीसरा साल 4 साल के बराबर और बाकी के 2.5 – 2.5 साल के बराबर होते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में 1788 से पहले एक भी घोड़ा नही था। इसके बाद उपनवेशी इस देश में घोड़ा लेकर गए। ऑस्ट्रेलिया में घोड़े का कोई कंकाल भी नही मिला है।
2.हाथी के रोचक तथ्य
हाथी लेट कर नही ब्लकि खड़े होकर ही सोते हैं।हाथीयों में यौवन अवस्था(सेक्स करने की उम्र) आमतौर पर 13 जा 14 साल की आयु में आ जाती है। एक हाथी पानी की गंध को 4.5 किलोमीटर की दुरी से सूंघ सकता है। हाथी दिन में बहुत कम सोते हैं। बस ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे। हाथी एक एकलौता जानवर है जो कि कूद नही सकता और जिसके चार घुटने होते
हर हाथी की गरज़ भी हम मनुष्यों की आवाज की तरह भिन्न होती है।अगर किसी हाथी को कोई चोट लगती है तो दुसरा हाथी उसकी सहायता जरूर करता है।अगर किसी झुंड का एक हाथी मर जाए तो सारा झुंड अजीब-अजीब तरह से गरज़ कर शौक मनाता है।हाथी साफ सुथरा रहना पसंद करते हैं और हर रोज नहाते हैं। हाथी अपनी सूँढ से एक फर्स पर गिरा छोटा सा सिक्का भी उठा सकते हैं। हाथी अपनी सूंड से ब्रश को पकड़ कर कलाकारी भी कर सकते हैं।
अब तक दुनिया में प्राप्त हुए भिन्न जीवाश्मों से पता चला है कि आज से 5 करोड़ साल पहले हाथियों की करीब 170 प्रजातीयां विकसित थी। यह जीवाश्म ऑस्ट्रेलीया और अंर्टाकटिका को छोड़ सभी महाद्वीपों में पाए गए हैं।मादा हाथी हर 4 साल में एक बच्चे को जरूर जन्म देती है।
इसका गर्भकाल औसतन 22 महीने तक का होता है। 1 प्रतीशत मामलों में जुडवा बच्चे जन्म लेते हैं। नव जन्में हाथी की लंम्बाई लगभग 83 सेंटीमीटर और वजन 112 किलो तक का होता है। अफरीकी मादा हाथियों का गर्भकाल 22 महीने का होता है। इतने बड़े कान होने के बाद बावजूद भी हाथी की सुनने की समता कम होती है।अफरीकन हाथीयों के कान भारतीय हाथियों से बड़े होते हैं।आपने हमेशा देखा होगा कि हाथी दिन भर अपने कान हिलाता रहता है, क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों? असल में हाथी अपने विशालकाय शरीर की गर्मी को कानों के जरिये बाहर छोड़ता है। यह काम हाथी के कानों की कोशिकाएं करती हैं। यही कारण है कि अफ्रीका के हाथियों के कान बहुत बड़े होते हैं, क्योंहकि वहां गर्मी ज्याकदा पड़ती है।
जवान अफरीकन हाथी का वजन लगभग 6,160 किलोग्राम तक होता है और भारतीय हाथीयों का 5000 किलोग्राम तक।हाथीयों का जीवन काल औसतन हम मनुष्यों की तरह 70 साल तक का ही होता है। हाथी आमतौर पर 6 किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से चलते हैं।
हाथी अपने पैरों का उपयोग सुनने के लिए भी करते हैं। जब हाथी चलते हैं तो जमीन में एक विशेष प्रकार का कंपन पैदा होता है। इस कंपन से हाथी दुसरे हाथियों के बारे में जान लेते हैं।रेलवे की शुरुआत में ट्रेन के डिब्बे को धकेलने, उठाने व माल ढ़ोने के लिए क्रेन की जगह हाथी का इस्तेमाल किया जाता था।शेर को भले ही जंगल का राजा कहा जाता है, लेकिन वह हाथी से पंगा लेने से हमेशा बचता है।
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